2/23/2007

किसने कहा सिगरेट 'कूल' नहीं?

एक छोटी दूसरी शुरुआत. आनेवाले दिनों में हमारी कोशिश होगी सिलेमा के माध्‍यम से फिल्‍मों संबंधित (नई-पुरानी, देशी-विदेशी) संक्षिप्‍त सूचनाओं का हम कुछ प्रसारण संभव कर सकें. कुछ बोर्ड पर दर्ज़ होनेवाले फुटकर नोट्स की तरह. ज़ाहिरन यहां गॉसिप व बेमतलब फिल्‍मों के पीछे ऊर्जा खराब करना उद्देश्‍य नहीं होगा. प्रयास होगा सर्कुलेशन की कुछ अच्‍छी चीज़ों पर हमारी नज़र बनी रहे. काम की फिल्‍में व ट्रेंड्स के बारे में जानकारियों का आदान-प्रदान हो सके.

इस क्रम में आज हम पिछले थोडे समय में प्रदर्शित तीन ऐसी अमरीकी फिल्‍मों की सूचना दे रहे हैं जो अपनी कथावस्‍तु, प्रस्‍तुति, अभिनय हर स्‍तर पर न केवल रोचक है, बल्कि एक दूसरे से काफी अलग-अलग भी. इनमें से थैंक यू फॉर स्‍मोकिंग 2005 में बनी है, बाकी दोनों पिछले वर्ष की फिल्‍में हैं.

जेसन रीटमान निर्देशित थैंक यू फॉर स्‍मोकिंग तंबाकू उद्दोग के प्रवक्‍ता निक नेलर की कहानी है जिसका पेशा है अपनी हंसमुख हाजिरजवाबी से सिगरेट-विरोधी नीति नियंताओं व सामाजिक मंचों को भटकाते रहना. और यह बताना कि सिगरेट अभी भी क्‍यों ‘कूल’ है और अगर उसे पीनेवाले कैंसर का शिकार होते हैं तो उससे कहीं ज्‍यादा अमरीकी नागरिक सडक व विमान दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं. फिल्‍म का सुर व्‍यंग्‍यात्‍मक व आधुनिक है जहां हर चीज़ अब धंधा हो गई है और अच्‍छी इरादों की बात करनेवाले भी हमें उतना ही संदिग्‍ध लगते हैं जितना हमारी जान ले रहा आदमी. निक नेलर की भूमिका में आरन एकहार्ट ने मज़ेदार काम किया है.

दूसरी फिल्‍म ऑल द किंग्‍स मेन रॉबर्ट पेन वॉरेन के उपन्‍यास पर आधारित है. स्‍टीवन ज़ायलियान निर्देशित और सान पेनज्‍यूड लॉ के इंटेंस अभिनय वाली यह फिल्‍म एक भले, भोले व नेक़ इरादे वाले व्‍यक्ति की सत्‍ता में आने के बाद पतन की दिलचस्‍प कहानी है. रायन फ्लेकआना बोदेन की हाल्‍फ नेलसन एक माध्‍यमिक इतिहास की कक्षा में ‘डायलेक्टिक्‍स’ पढानेवाले थोडा लिबरल, थोडा वामपंथी, थोडा उत्‍साहित तो थोडा भटके हुए एक ऐसे कुंठित स्‍कूल शिक्षक की कहानी है जो अपनी मिश्रित नस्‍ली कक्षा में कुछ अच्‍छा रचना चाहता है, लेकिन सामाजिक दिक्‍कतों वाली पृष्‍ठभूमि से आये, शिक्षा के प्रति आज के अनुत्‍साहित बच्‍चों के बीच यह कैसे संभव होगा, उसकी यह पहेली हल होती नहीं दिखती. फिर शिक्षक के नशे की कमज़ोरी का राज़ उसकी एक तेरह वर्षीय छात्रा के बीच खुलता है. अपनी अलग-अलग दुनियाओं व सामाजिक भूमिकाओं के बावजूद कैसे एक उलझा हुआ शिक्षक व पारिवारिक मुश्किलों में जी रही कमउम्र छात्रा एक दूसरे का संबल बनते हैं- इसे फिल्‍म दिलचस्‍प तरीके से पकडती है. शिक्षक (रायन गॉसलिंग) व छात्रा (शारिका एप्‍स) दोनों की न केवल कास्टिंग परफेक्‍ट है, दोनों ने अभिनय भी उतना ही अच्‍छा किया है. हैंड हेल्‍ड कैमरा फिल्‍म के चरित्रों की अंदरुनी बेचैनी को व्‍यक्‍त करने का अच्‍छा जरिया बनी रहती है.

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