8/01/2007

मिकालेंजेलो व इंगमार की विदाई..



अंतोनियोनी ने 94 वर्ष का लंबा जीवन जिया, बर्गमैन 89 के थे. अंतोनियोनी ने देर से शुरुआत की, या शुरू करने का मौका मिला (पहली फीचर ‘क्रोनाका दि उन अमोरे’ बनाते समय उनकी उम्र 38 वर्ष थी. दस साल बाद कान में ‘लावेंतुरा’(1960) के साथ अंतर्राष्‍ट्रीय प्रसिद्धी ने भी उनसे बहुत फ़ि‍ल्‍में नहीं बनवायीं, जबकि बर्गमैन आजीवन एक पैर थियेटर में फंसाये रखने के बावजूद ज्‍यादा प्रॉलिफिक थे. दोनों को अपने जीवन में ढेरों आलोचना मिली, तो साथ ही दोनों ने मानव मन के अंतर्लोक, उसकी जटिल-गुंफित दुनिया को टटोलते निजी सिनेमा को एक अंतर्राष्‍ट्रीय पहचान व ऊंचाई दी. साठ व सत्‍तर के दशक के विश्‍व सिनेमा व्‍युइंग को मार्मिक बनाये रखा. अजब संयोग है दो दिन पहले, 30 जुलाई को यह दोनों ही जायंट हस्तियां एक साथ संसार से विदा हुईं. साठ के दशक के वाइब्रेंट पर्सनल सिनेमा का जैसे एक तरह से पटाक्षेप हुआ.

मिकालेंजेलो अंतोनियोनी के लिए यहां व इंगमार बर्गमैन के व्‍यक्तित्‍व व कृतित्‍व पर ज्‍यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

4 comments:

Yunus Khan said...

बर्गमैन का जाना एक बड़ी क्षति मानी जाएगी । श्रद्धांजली ।

अभय तिवारी said...

उनका नियत जीवन पूरा हुआ किन्तु दिलासे वाली बात यह है कि उनकी जीवन दृष्टि को कभी भी उनकी फ़िल्मों में देखा जा सकता है..

Anonymous said...

सिनेमा के इन दोनों पुरोधाओं को श्रद्धांजलि .

इनकी महत्वपूर्ण फ़िल्मों पर कुछ 'क्रिटिकल नोट' जैसा लिखिए . हम जैसों के लिए .

Divine India said...

दोनों हस्तियों को मेरी श्रद्धांजलि,एक बहुत बड़ी क्षति है सिनेमा के लिए…।
आपने मेरा जबाब नहीं दिया… जबकि मैं आपके मेल की प्रतिक्षा करता रहा…।
वैसे मेरा मेल है---
divyabh.aryan@gmail.com